अध्याय १८
अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम्।
मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते।।२५।।
भगवान कहते हैं कि :
शब्दार्थ :
१. जो कर्म परिणाम, क्षय, हिंसा और सार्मथ्य का विचार न करके,
२. मोह से आरम्भ किया जाता है,
३. वह तामस कर्म कहलाता है।
तत्त्व विस्तार :
तामसिक कर्म :
भाई! तमोगुणी, अन्धे लोग कर्म परिणाम पर कैसे ध्यान देंगे?
क) वे तो अपने मिथ्या सिद्धान्त की स्थापति में लगे होते हैं।
ख) वे केवल अपने तन से संग किये बैठे हैं, इस कारण मोह से ग्रसित हैं।
ग) उनके किसी कर्म से किसी और पर क्या गुज़री, जब ये सब देख ही नहीं सकते, तो समझ क्या सकेंगे?
घ) उनके घर छोड़ने पर कौन लुट गया,
ङ) उनके लड़ने पर किसकी इज्ज़त पर हमला हुआ,
च) उनके कर्म से कौन बेघर हो गया,
छ) कितनों को उन्होंने तड़पा दिया,
ज) कितनों को उन्होंने मरवा दिया,
उनको क्या! वे यह सब क्या जानें?
केवल अभिमान से अन्धे हुए वे :
1. न अपने बल का अनुमान लगा सकते हैं,
2. न ही अपने सुख दुःख, शुभ अशुभ का अनुमान लगा सकते हैं,
3. उन्हें कोई कर्म शोभा देते हैं या नहीं, वे यह भी नहीं सोचते,
4. कार्य का परिणाम उन्हीं पर क्या होगा, वे यह भी नहीं सोच सकते, तो दूसरे पर क्या बीतेगी, वे यह कैसे सोच सकते हैं?
भाई! अनेकों नेतागण वास्तव में तामस वृत्ति वाले होते हैं, अनेकों साधुता अभिमानी भी तामस वृत्ति पूर्ण होते हैं। वे साधुता का अभिमान करके, साधुता के मिथ्या तथा अज्ञानपूर्ण अर्थ निकाल कर,
क) कर्तव्य का परित्याग कर देते हैं।
ख) वे कहते हैं कि हम तन नहीं, पर अपना तनोबल देश को नहीं देते। फिर, जिनका उनके तन पर अधिकार है, उनसे तन क्यों छीन लेते हैं?
ग) वे कहते हैं कि हम मन नहीं, फिर अरुचिकर और अपमान से क्यों डरते हैं?
घ) वे कहते हैं कि हम आत्मवान् हैं, पर साधारण जीवन को यज्ञमय बनाने से डरते हैं।
ङ) वे समझते हैं कि धर्म कुछ और है और कर्तव्य कुछ और है।
च) प्रेम की प्रतिमा बनना चाहते हैं, दया और करुणा का प्रचार करते हैं, अपने ही घर वालों को छोड़ कर !
छ) सेवा की बातें करते हैं और सिखाते हैं, किन्तु आप सेवा की प्रतिमा नहीं बनते।
उनसे सेवा करवाने का जिनका हक़ है, उन्हें वे छोड़ देते हैं। अपने नाते रिश्ते भी वे छोड़ देते हैं। देश की सेवा वे क्या करेंगे, वे स्वयं ज्ञान की प्रतिमा नहीं बने। वाक् और अपने जीवन में भेद होने के कारण वे अज्ञान, मोह और अशान्ति तथा विभ्रान्ति फैला सकते हैं।
– कितने ही घर लुट जाते हैं,
– कितने ही देश गिर जाते हैं,
– कितना अत्याचार होता है,
तामस गुण के कारण, आज सामने देख लो।